ब्रेस्ट कैंसर से लड़ चुकीं जर्मनी की शेडी ने शुरू की चलती-फिरती लैब, यह गांवों में जाकर बेस्ट-सर्विकल कैंसर की जांच करती है

हेल्थ डेस्क. देश में महिलाओं को होने वाले कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर के मामले सबसे ज्यादा हैं। 2018 में सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर के ही 1,62,468 नए मामले सामने आए और 87,090 मौते हुईं। इन्हीं आंकड़ों को घटाने के लिए जर्मनी की शेडी गैंड भारत आई हैं। ब्रेस्ट कैंसर को हराने के बाद शेडी ने महिलाओं को जागरुक करने के लिए तमिलनाडु के गांवों का रुख किया। वह महिलाओं को कैंसर से बचाने के लिए हर जरूरी जांच करा रही हैं। इसमें उनकी मदद कर रही है 'मेमोमोबाइल'। 'मेमोमोबाइल' चलता-फिरती लैब है जिसमें ब्रेस्ट और सर्विकल कैंसर की जांच के लिए हर जरूरी चिकित्सीय उपकरण मौजूद हैं।

इसलिए भारत को चुना
मेमोमोबाइल नाम रखने की वजह भी ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी है। मेमो का मतलब मेमोग्राम से जुड़ा है। मेमोग्राम जांच ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए की जाती है। शेडी कहती हैं भारत में मेमोमोबाइल की शुरुआत की एक वजह है, यहां महिलाओं में कैंसर के ज्यादातर मामले तब पता चलते हैं जब देर हो चुकी होती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्र में। मोबाइल लैब को बनवाने में करीब 2 करोड़ रुपए का खर्च आया। इसे शेडी गैंज फाउंडेशन मेमोमोबाइल ट्रस्ट की मदद से चलाया जा रहा है।

जांच कराने आईं महिलाओं के साथ जर्मनी की शेडी

तमिलनाडु के 92 से अधिक गांवों में पहुंची लैब
शेडी अब तक तमिलनाडु के 92 से अधिक गांवों में महिलाओं की जांच कर चुकी हैं। हर महीने करीब 500 मेमोग्राम किए जाते हैं। पेशे से वैज्ञानिक और सायकोथैरेपिस्ट है। शेडी कहती हैं ब्रेस्ट कैंसर से जूझने के बाद मुझे उम्मीद नजर आई। महिलाओं में इसके मामलों में कमी लाने के लिए मैंने इसकी शुरुआत की। मोबाइल लैब सिर्फ जांच के लिए ही नहीं लोगों को कैंसर बचाने से जागरुक भी कर रही है।

मेमोमोबाइल की टीम के साथ शेडी

लैंब में जांच के नतीजेतत्काल
मेमोमोबाइल में छोटे-छोटे कंपार्टमेंट बने हैं जिसमें अमेरिका से मंगाई गईं अत्याधुनिक मशीनें हैं, जिनसे जांच के कुछ ही मिनट के अंदर तत्काल रिपोर्ट ली जा सकती है। बस के एक कंपार्टमेंट मेमोग्राम सेक्शन है तो दूसरे कंट्रोम में जांच की रिपोर्ट तैयार होती है। इसके अलावा एक ऐसा सेक्शन भी है जहां सर्विकल कैंसर की जांच होती है। जरूरत पड़ने पर जरूरी टेस्ट की जांच चेन्नई के कैंसर इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ करते हैं।

अब अगला पड़ाव बेंगलुरू
शेडी के मुताबिक भारत की सड़के बस में मौजूद मशीनों के लिए बड़ी चुनौती हैं, इसलिए जरूरत पड़ने पर मशीन में मौजूद रिपोर्ट को सीडी में लेकर कोरियर की मदद से विशेषज्ञों तक पहुंचाना पड़ता है। शेडी ट्रस्ट की मदद से ऐसी महिलाओं की आर्थिक मदद भी कर रही हैं जो ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं। शेडी कहती हैं तमिलनाडु के गांवों के बाद अगला पड़ाव बेंगलुरू होगा।



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source https://www.bhaskar.com/happylife/healthy-life/news/world-cancer-day-2020-special-story-about-breast-cancer-cervical-cancer-screening-bus-126663800.html

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