कैलिफोर्निया. अमेरिका टेक कंपनी एपल अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक एपल आईफोन और आईपैड में यूजर्स को अपने ऐप की जगह प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के ऐप को डिफॉल्ट बनाने की आजादी दे सकती है। कुछ वर्षों से एपल की इस बात के लिए काफी आलोचना हुई है कि वह इन-हाउस ऐप और प्रोडक्ट को बढ़ावा देने अन्य कंपनियों के प्रोडक्ट को अपने प्लेटफॉर्म पर उचित जगह नहीं देती है।
रिपोर्ट के मुताबिक एपल इस बात पर विचार कर रही है कि क्या उसे थर्ड पार्टी वेब ब्राउजर और ई-मेल सर्विस को आईफोन पर जगह देनी चाहिए या नहीं। एपल ने 2008 में अपना ऐप स्टोर लॉन्च किया था। तब से उसने आईफोन यूजर्स को डिवाइस में पहले से मौजूद ऐप को रिप्लेस करने की इजाजत नहीं दी है। इस कारण कई डेवलपर्स को मुकाबला करने में मुश्किल आई है और टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में एपल के ऊपर एंटीट्रस्ट उल्लंघन के आरोप भी लगे हैं। वेब ब्राउजर और मेल आईफोन व आईपैड में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले ऐप हैं। अब तक गूगल क्रोम और फायरफॉक्स जैसे प्रतिद्वंद्वी ब्राउजर और जीमेल और माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक जैसे प्रतिद्वंद्वी ई-मेल ऐप को एपल डिवाइसों में डिफॉल्ट ऐप के तौर पर जगह नहीं मिली है। अगर आईफोन यूजर किसी लिंक को क्लिक करता है तो वह डिफॉल्ट सेटिंग के तहत सीधे सफारी ऐप पर खुलता है। इसी तरह कोई मेल एपल के मेल ऐप पर खुलता है और यूजर को किसी अन्य ई-मेल प्रोग्राम पर स्विच करने का विकल्प नहीं मिलता है।
आईफोन पर डिफॉल्ट ऐप बन पाना थर्डपार्टी ऐप्स के लिए बड़ा मौका हो सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों के मुताबिक आज के जमाने में दुनियाभर में स्मार्टफोन की बिक्री घट रही है थर्ड पार्टी ऐप को डिफॉल्ट सेट करने की इजाजत देना एपल के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
थर्ड पार्टी म्यूजिक ऐप को भी छूट देने पर विचार
कैलिफोर्निया के क्यूपर्टिनो स्थित कंपनी एपल प्रतिद्वंद्वी म्यूजिक ऐप के लिए भी ढील देने पर विचार कर रही है। इनमें स्पॉटिफाई प्रमुख ऐप है। एपल का सिस्टम थर्ड पार्टी ऐप को डिफॉल्ट सेट करने की इजाजत नहीं देता है। पिछले साल अमेरिकी संसद में इस मसले पर एपल से पूछताछ भी की गई थी।
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