
अमेरिका ने भारत में लगने वाले इक्विलाइजेशन लेवी यानी गूगल टैक्स पर आपत्ति जताई है। ये दूसरा मौका है जब अमेरिका को इस पर आपत्ति की है। इससे पहले जून 2020 में उसने कहा था कि ये टैक्स मंजूर नहीं है। यूनाइटेड स्टेट ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) का कहना है कि इस टैक्स को लेकर अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। यूएसटीआर अमेरिका के लिए व्यापार नीति बनाने का काम करता है।
यूएसटीआर ने टैक्स की जांच के लिए कई देशों को लेकर नोटिस भी जारी किया है। इसमें भारत, ऑस्ट्रिया, ब्राजील, यूरोपीय यूनियन, इटली, इंडोनेशिया, स्पेन, तुर्की और ब्रिटेन शामिल हैं। उसने कहा है कि अमेरिका इन देशों को एक्सपोर्ट किए जाने वाले आइटम पर टैक्स बढ़ा सकता है। इस स्थिति को देखते हुए भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड वार शुरू हो सकता है।
इक्विलाइजेशन लेवी या गूगल टैक्स क्या है?
भारत से गूगल, फेसबुक जैसी कई कंपनियां एडवरटाइजिंग से करोड़ों रुपए की कमाई करती हैं। इन्हें टैक्स के दायरे में लाने के लिए 1 अप्रैल, 2020 से कानून बनाया गया। इक्विलाइजेशन लेवी के दायरे में ऑनलाइन और डिजिटल एडवरटाइजिंग स्पेस से जुड़े प्रोविजन शामिल हैं। जो विदेशी कंपनियां भारत में सालाना 2 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार करती हैं उन्हें 2% डिजिटल टैक्स देना होगा।
गूगल, अमेजन, फेसबुक ने की है शिकायत
डिजिटल सर्विस टैक्स को लेकर गूगल, अमेजन, फेसबुक जैसी अमेरिकी कंपनियों ने आपत्ति जताते हुए यूएसटीआर से शिकायत की है। उन्होंने ऑनलाइन बिक्री और विज्ञापन से होने वाली इनकम पर टैक्स लगाए जाने का विरोध किया है। अमेरिका का कहना है कि इस टैक्स से गूगल, एपल, फेसबुक, अमेजन, नेटफ्लिक्स, उबर, ईबे, जूम जैसी कई कंपनियों को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि, भारत में इन कंपनियों की इनकम अरबों रुपए है।

पिछले साल गूगल ने टैक्स के 604 करोड़ रुपए चुकाए
यूएसटीआर के मुताबिक, उसकी 86 से ज्यादा कंपनियां इक्विलाइजेशन लेवी के दायरे में आती हैं। ये दूसरे देशों की तुलना में सबसे ज्यादा हैं। ऐसे में भारत इन कंपनियों के साथ भेदभाव कर रहा है। इक्विलाइजेशन लेवी के चलते फाइनेंशियल ईयर 2017-18 के दौरान गूगल ने 550 करोड़ रुपए का पेमेंट किया था। वहीं, 2019-20 के दौरान उसने 604 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है। यानी दो साल में उसने 1154 करोड़ रुपए दिए हैं।
1974 के ट्रेड एक्ट के तहत जांच
यूएसटीआर डिजिटल सर्विस टैक्स को लेकर भारत की जांच कर रहा है। जांच को सेक्शन 301 जांच का नाम दिया गया है, क्योंकि इसकी जांच 1974 के ट्रेड एक्ट के सेक्शन 301 के तहत होगी। यह सेक्शन अमेरिकी यूएसटीआर को इस बात का अधिकार देता है कि अगर किसी देश के भेदभाव वाले रवैये से अमेरिका के व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ता है तो अमेरिका उसकी जांच कर सकता है।


भारत को डरने की जरूरत क्यों?
इक्विलाइजेशन लेवी पर अमेरिका की चेतावनी से भारत को डरने की जरूरत है। ऐसे ही मामले में अमेरिका ने फ्रांस में एक्सपोर्ट होने वाले कुछ आइटम पर 25% टैक्स कर दिया है। फ्रांस ने भी अमेरिकी कंपनियों पर गूगल टैक्स बढ़ाया था। ऐसा माना जा रहा है कि ट्रम्प अपने प्रेसिडेंट पद को छोड़ने से पहले भारत, इटली और तुर्की के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तब अमेरिका से आने वाले कई आइटम महंगे हो जाएंगे। इसका सीधा असर लोगों की जेब पर होगा।

Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3siDHbp