ज़िंदगी ख़ूबसूरत तोहफ़ा, कैंसर को ख़ुद पर हावी न होने दें, कैंसर को हराने वाली सोनाली बेंद्रे और ताहिरा कश्यप की कहानी उनकी जुबानी

हेल्थ डेस्क. कैंसर से जिंदगी की जंग इतनी आसान नहीं पर मुश्किल भी नहीं है...। वर्ल्ड कैंसर डे (4 फरवरी) पर आयुष्मान खुराना की पत्नी अभिनेत्री ताहिरा कश्यप और अभिनेत्री सोनाली कैंसर अपनी जंग की कहानी हमारे साथ साझा कर रही हैं। अभिनेत्री ताहिरा कश्यप आयुष्मान खुराना की पत्नी हैं। उन्हें 2018 में ब्रेस्ट कैंसर का पता चला था। 2018 में ही अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे को हाईग्रेड मेटास्टेटिस कैंसर का पता चला था। पढ़ें 2018 में बीमारी से पीड़ित रहीं इन ख़ास और आम लोगों की कहानियां....

बीमारी के बारे में कभी गूगल पर सर्च मत कीजिए : ताहिरा कश्यप
कैंसर किसी को भी हो सकता है, मुझे हुआ। लेकिन मैंने कैंसर को एक परेशानी या मुसीबत नहीं समझा। जब कैंसर का पता चला तो मैंने ठान लिया कि मुझे इससे उबरकर खुद का एक बेहतर रूप दुनिया के सामने लाना है। आप जिंदगी को कभी हल्के में मत लीजिए, क्योंकि जब ऐसी परिस्थिति सामने आती है तो जिंदगी के हर एक लम्हे की कीमत समझ आने लगती है। मैं आस्थावान थी, बुद्धिज़्म फॉलो करती थी। इससे मुझे ताक़त मिली। आप भी अपनी मन की ताक़त खोजें और बीमारी से लड़कर बाहर निकलें।
खुद को ख़ूबसूरत मानें : ख़ूबसूरती के मायने सिर्फ़ ऊपरी तौर पर नहीं हैं। जब मेरे बाल झड़ने शुरू हुए, तो मैंने टोपी पहननी शुरू की, थोड़े दिन एक्सटेंशन लगाए रखा। फिर एक दिन मैंने अपना सिर मुंडवा लिया और यकीन मानिए, उस दिन मुझे लगा कि पहले से बहुत सुंदर लग रही हूं। बीमारी में ख़ुद पर आत्मविश्वास संजीवनी की तरह काम करता है। शक्ल-ओ-सूरत की परवाह न करें, अंदरुनी ख़ूबसूरती पर गर्व करें।
बीमारी ख़ुशी नहीं छीन सकती : महज़ एक बीमारी ख़ुश होने से कैसे रोक सकती है? ख़ुश रहकर आप बीमारी से दो-दो हाथ कर सकते हैं। मैंने कैंसर के दौरान हर पल यही सोचा कि मुझे इससे जीतना है इसलिए मैं ख़ुश थी।
परिवार-दोस्तों को अपनी ताकत बनाएं : बीमारी से बाहर निकलने में अपने और अपनों का साथ बेहद ज़रूरी है। मैं इस मामले में ख़ुशनसीब हूं। मेरी पीड़ा को बांटने में परिवार का बहुत सपोर्ट रहा। मेरे पति आयुष्मान हमेशा मेरे साथ रहे। मेरे माता-पिता और फैमिली ने भी काफी सपोर्ट किया। परिवार और दोस्तों का साथ मिलता है, तो आप किसी भी परिस्थिति से बाहर आ सकते हैं।
बीमारी ना खोजें, गूगल डॉक्टर न बनें : मैंने ख़ुद से वादा किया था कि ग़लत व परेशान करने वाली चीज़ों की तरफ़ नहीं देखूंगी। मेरी कीमोथैरेपी को एक साल बीतने को है और अब जाकर मैंने देखा है कि कैंसर की सर्जरी कैसे होती है, उससे पहले बीमारी के दौरान मैंने कभी नहीं देखा कि कीमोथैरेपी, सर्जरी के साइड इफेक्ट्स क्या होते हैं? मैं आप सबको एक सलाह देना चाहूंगी कि बीमारी के बारे में कभी भी गूगल मत कीजिए, शुरुआत से ही बीमारी के साइड इफेक्ट्स के बारे में पढ़ेंगे-सोचेंगे तो आपके साथ भी वही होगा।

मानसिक मज़बूती ही इस बीमारी से लड़ने की ताकत देगी : सोनाली बेंद्रे
लोग अक्सर अपने परिवारवालों या बच्चों से बीमारी के बारे में छुपाते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। बीमारी के बारे में बताने पर मुझे लोगों से बहुत प्यार मिला। इस प्यार के बल पर मेरी कैंसर से लड़ाई बहुत आसान हो गई। अपनी बीमारी के बारे में खुलकर कहें। इससे आपकी मुश्किल यात्रा आसान हो जाएगी और आपको आत्मबल मिलेगा।
कैंसर से जंग में शारीरिक दर्द से कहीं ज्यादा मानसिक दर्द का सामना करना पड़ता है। इसके लिए ख़ुद को व्यस्त रखें। ख़ुशियों के रास्ते तलाशें। मानसिक जंग जीत ली, तो मानो शारीरिक जंग भी जीत ही लेंगे। खुद को पॉजिटिव रखकर हमेशा फ्यूचर की तैयारी जरूर रखें। मन में विश्वास रखें कि आप फिर से सामान्य होकर वापसी करने जा रहे हैं और उसका पूरा प्लान भी तैयार करते रहें। इससे आप इंगेज और व्यस्त रहने के साथ सामान्य भी महसूस करेंगे।
इंफॉर्मेशन, अवेयरनेस और एक्शन, इन चीज़ों की जरूरत मुझे मेरे इलाज के दौरान पड़ी थी। मेरा मानना है कि कैंसर हो, तो कैंसर रोगी के साथ परिजनों को जागरूक रहना चाहिए। हां, सूचनाओं को डर का कारण ना बनने दें। अपने आपको अपडेट रखने के लिए जानकारी जुटाएं। हमारे अस्पतालों में कई महत्वपूर्ण और सस्ती सुविधाएं भी होती हैं, इन सबके बारे में जानकारी जुटाएं।

संगीत सहारा बना...
37 साल की पिंजौर हरियाणा की सुनीति का ब्रेस्ट कैंसर का इलाज नौ महीने चला। अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। वह कहती हैं- ‘इलाज के दौरान एकाकीपन बहुत महसूस होता था। नकारात्मक ख़्याल आते थे, दवाओं से चिड़चिड़ापन महसूस होता था। ऐसे में मैंने डॉक्टर की सलाह पर संगीत का सहारा लिया। क्लासिकल म्यूजिकसुनकर मेरे विचारों में सकारात्मकता आई। इलाज के दौरान डॉक्टर की सारी सलाहमानीं, काउंसलर से लगातार मिलती रही।
डॉक्टर ने मुझे कहा था कि अपने शरीर की ज़रूरतों को समझें और किसी भी चीज़ को नज़रअंदाज़ न करें। बीमारी के बाद से मैं थोड़ा स्वार्थी हो गई हूं। अब अपनी डाइट, फिटनेस का पूरा ख़्याल रखती हूं। मैं स्वस्थ हूं, पहले से ज़्यादा ख़ुश हूं और जिंदगी के प्रति सकारात्मक और ऊर्जावान हूं।'

जैसा उन्होंने दैनिक भास्कर की रिपोर्टर ज्योति शर्मा को बताया



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world cancer day 2020 cancer survivor story Tahira Kashyap and Sonali Bendre shares how they fight against cancer


source https://www.bhaskar.com/happylife/healthy-life/news/world-cancer-day-2020-cancer-survivor-story-tahira-kashyap-and-sonali-bendre-shares-how-they-fight-against-cancer-126656348.html

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